Web Application Architecture क्या है?

Web Application Architecture क्या है? यह एक घर के नक़्शे की तरह है. इसे हम blueprint भी कह सकते है. इसमें यह पता चलता है की web application के सभी parts / components किस तरह मिलकर काम करते है ताकि user को उसका output मिल सके. आइये निचे दिए गए कुछ points को देखते है.

 

  • Front End (Client-Side): यह वो component है जिसे user अपने web browser में देखता है और उसके साथ interact करता है. जैसे की buttons, forms, tick box etc. HTML, CSS और JavaScript जैसी technologies इसकी नीव होती है. Modern frameworks और libraries जैसे की React, Angular, और Vue.js interactivity user experience को बढाने में मदद करती है.

 

  • Back End (Server side): यह परदे के पीछे काम करने की process है. User जिस तरह interact करता है जैसे की request process करना, user का authentication करना, सभी tasks backend में perform होते है. इसे Logic भी कहते है. Server side इस्तेमाल किये जाने वाली languages है Node.js, Python, Ruby, Java और PHP. Frameworks जैसे की Express.js, Django, Ruby on Rails और Spring Boot streamline development में मदद करते है.

 

  • Database: मान लीजिये एक कमरा है जो पूरा किताबों से भरा है. अब इस चीज़ को digitally सोच लीजिये. Application को जब भी information / data की ज़रूरत पड़ती है तो वो database से ही ले लेता है. यह relational (SQL) जैसे की MySQL, PostgreSQL, या non-relational (NoSQL) जैसे की MongoDB और Cassandra हो सकता है. ORM Object-Relational Mapping) tools जैसे की Sequelize या Hibernate, एप्लिकेशन और डेटाबेस के बीच interaction की सुविधा प्रदान करते हैं.

 

  • API (Application Programming Interface): Application के जितने भी parts है, या जो भी Applications है वो communicate करते रहे यह जिम्मेदारी API की होती है. REST (Representational State Transfer) और GraphQL यह कुछ common API architectures है.

 

  • Server & Hosting: Web applications server पर host होते है जो वही पर या फिर cloud based जैसे की AWS, Azure पर हो सकते है. Load balancers और web servers जैसे की Nginx और Apache, traffic distribution और requests को handle करते है. यह वो computer है जहा back end में codes run होते रहते है जिससे user को उसके web pages मिलते रहते है.

 

आइये अब बात करते है Architectural Patterns की.

  1. Monolithic Architecture: यह एक ऐसा पैटर्न है जिसमे पुरे application को एक single codebase में develop किया जाता है. इसके सारे components को एक ही deployment unit के रूप में deploy किया जाता है. UI, backend logic और database interactions— सभी tightly coupled होते है. इस architecture में components tightly integrated होते है. वह इसलिए क्यूंकि सभी modules एक codebase में होते है और एकसाथ deploy किये जाते है. इसकी सबसे अच्छी बात यह है की deployment और testing के लिए simple होता है. पर जैसे जैसे application बढेगा codebase को maintain करने में और scaling करने में challenges आ सकते है.

 

  1. Microservices Architecture: इस architecture में एक बड़े application को छोटे छोटे independent services में divide किया जाता है जो अपने functions और database के लिए खुद जिम्मेदार होते है. यह monolithic architecture के बिलकुल opposite होते है जिसमे एक single large codebase में सारे function एकसाथ होते है. Microservices के positive points की बात करे तो वो loosely coupled होते है, वो independently deployable होते है, उनका development भी independent होता है और उन्हें dynamic scaling भी किया जा सकता है. इसके negative points की बात करे तो modules के बिच smooth communication बना रहे इसके लिए developers को extra code लिखना पड़ सकता है. इसके operations की complexity को देखते हुए performance में गिरावट देखी जा सकती है.

 

  1. Serverless Architecture: जैसे के नाम से ही पता चलता है इसमें Server आपका नहीं होता. Serverless Computing यह cloud computing model है जहाँ cloud service providers आपकी demand पर resources उपलब्ध कराते है. अर्थात की इसमें third party होती है जो आपके behalf पर server manage करती है. अब serverless architecture में बिना किसी infrastructure को manage किये बिना applications बनाये और run किये जाते है. Basically, आपको सिर्फ code लिखने में focus करना है. यह बोहोत cost efficient होता है क्यूंकि इसमें idle time के लिए कोई charge नहीं लगता. कहने का मतलब यह है की अगर application use में नहीं है तो आपका पैसे नहीं देने पड़ेंगे.

 

  1. Layered Architecture: Computer science की दुनिया में layered architecture एक design approach है जहाँ application को अलग अलग layers में separate किया जाता है जिन्हें independently manage किया जा सके, उन्हें maintain किया जा सके. हर layer का एक specific role होता है और उन्हें अलग से test और modify किया जा सकता है. इस तरह का approach, cloud based applications के लिए फायदेमंद होता है. यह application के infrastructure को ना सिर्फ simple बनाता है बल्कि उन्हें flexibility भी प्रदान करता है.

 

तो web application architecture को समझने के लिए यह कुछ points थे. कुल मिलाकर web application architecture का मतलब यही है की किस तरह सभी components (Front end, back end, server और API’s) मिलकर काम करते है ताकि user को एक अच्छा experience मिल सके.

 

FAQ’s

Q: India में Web Application Architect की salary कितनी होती है?

A: 1 से 1.5 lakhs के बिच में.

 

Q: India में Web Application Architect की highest salary कितनी है?

A: 40 lakh सालाना.

 

तो पाठकों यह एक परिचय था Web Application Architecture से. IT जगत में इसकी अच्छी demand है. इस पर नज़र बनाये रखे और अपने career को अच्छी दिशा दे. इसमें पैसा भी बोहोत है. बस आपको अपनी skills पर ध्यान देना होगा. Best of luck!

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