Book Value per share क्या होता है?

Book value per Share क्या होता है? यह समझने से पहले यह जान लीजिये की किसी भी share की तीन values होती है जिसमे से एक book value है. बाकी दो है Face value और market value. किसी भी कंपनी का विश्लेषण करते वक़्त उसका book value देखा जाता है.

शेयर मार्केट में अक्सर यह चीज़ देखी जाती है की किसी कंपनी की market value अगर उसके book value से कम है तो वो कंपनी undervalued हो सकती है. Undervalued होने का मतलब है की उस कंपनी का share जिस दाम में मिल रहा है वह फ़िलहाल कम है, अर्थात सस्ता है. भविष्य में वह एक अच्छा निवेश साबित हो सकती है. तो चलिए सबसे पहले book value समझने की कोशिश करते है.

Book Value

जब भी कोई कंपनी शुरू होती है तो उसके बही खाते में दो भाग होते है – Assets & Liabilities. Asset मतलब संपत्ति, जैसे की फैक्ट्री, मशीन, टेबल, कुर्सी, कंप्यूटर वैगेरह वैगेरह.  और Liabilities मतलब देनदारियां, जैसे की loan. जब हम संपत्ति के कुल मूल्य (total value) में से देनदारी का मूल्य निकाल देते है तो हमें संपत्ति का असल मूल्य मिलता है. इसे Net Asset कहते है.

Total Assets – Total Liabilities = Net Asset.

Net Asset को ही Book value कहते है. अब हम Book Value समझ गए. अब असल मुद्दे पर आते है की book value per share क्या होता है?

Book Value Per Share (BVPS)

मान लीजिये ABC नाम की एक पेट्रो केमिकल कम्पनी ने अपनी सारी जायदाद बेच दी. बेचने के बाद कंपनी के हाथ में 1000 Cr आये. उसके बाद कंपनी ने अपने ऊपर तमाम क़र्ज़ ख़त्म कर दिया जो लगभग 300 Cr था. अब उनके हाथ में कितनी रकम बची? 700 Cr. यही रकम उनकी Book value कहलाएगी.

Book value को shareholders equity भी कहते है. अर्थात उस book value पर सभी शेयर धारकों का अधिकार है. लेकिन सभी के अधिकार समान तो नहीं होगा. किसी के पास उस कंपनी के 1,000 share हो सकते है और किसी के पास 1,00,000. तो अब बात आती है Book value per share (BVPS) की. तो उसका भी एक formula है.

मान लीजिये हमारी ABC कंपनी के 5 Cr शेयर्स है. तो इसका Book value per share हो जायेगा –

700 Cr ÷ 5 Cr = 140 rupees/share

अर्थात, ABC Petrochemical Company की book value 140 Rs. है. अब अगर इसी कंपनी का share price  140 से कम है तो इसका मतलब होगा की यह एक undervalued stock हो सकता है. वैसे आपको गणित करने की ज़रूरत नहीं है क्यूंकि किसी भी कंपनी का book value आपको  गूगल करने पर मिल जायेगा. अब हम दुसरे महत्वपूर्ण ratio की बात करेंगे जो है Price to Book Ratio जिसे PB Ratio भी कहते है.

PB Ratio (Price to Book Ratio)

PB Ratio का भी एक फार्मूला है.

  • P/B > 1: जब यह रेशियो 1 से ज्यादा होता है, तो इसका मतलब है कि कंपनी का स्टॉक उसकी बुक वैल्यू से ज्यादा कीमत पर ट्रेड कर रहा है. इससे अंदाज़ा लगता है की निवेशकों का कंपनी पर ज़बरदस्त भरोसा है.
  • P/B < 1: यदि यह रेशियो 1 से कम होता है, तो स्टॉक अपनी बुक वैल्यू से कम कीमत पर ट्रेड कर रहा है, जिससे अंदाज़ा लगता है की या तो कंपनी undervalued है या फिर financially weak (वित्तीय कमज़ोर) है.
  • P/B = 1: इसका मतलब हुआ की कंपनी का बाजार मूल्य और बुक वैल्यू समान हैं. ना तो स्टॉक महंगा है, ना सस्ता.


एक महत्वपूर्ण बात का ध्यान रखना ज़रूरी है कि किसी भी कंपनी का PB Ratio अगर 1 से कम है तो उसे तुरंत undervalued stock नहीं मानना चाहिए.  Book Value हमेशा कंपनी के Balance sheet से पता चलती है. इसलिए ज़रूरी हो जाता है की हमें balance sheet का अच्छे से विश्लेषण करते आना चाहिए. चलिए अब Face Value देखते है.

Face Value

मान लीजिये आपने साइकिल बनाने की एक फैक्ट्री शुरू की और नाम रखा ABC Cycles ltd. शुरुआत में आप अपनी जेब से कुछ पैसा भी लगायेंगे. इसी पैसे को Equity capital कहते है. इसी equity capital के बदले शेयर्स issue होते है. इन शेयर्स का एक मूल्य होता है, एक value होती है जिसे Face value कहते है. भारत में, शेयरों का Face value ₹10 होना आम बात है, लेकिन यह कोई ज़रूरी नहीं है. Face value ₹10 क्यूँ होती है इसे आगे समझेंगे.

तो जब भी किसी कंपनी की शुरुआत होती है तब कंपनी के शेयर्स founders और promoters के पास होते है, जिसे बाद में वो fund raise करने के लिए IPO द्वारा पब्लिक को बेच सकते है. चलिए एक उदाहरण से समझते है.

मान लीजिये रमेश ने एक कंपनी शुरू की और उसे पांच लाख शेयर्स में विभाजित कर दिया. उन्होंने हर शेयर की कीमत रखी ₹10. मतलब कंपनी की face value है दस रुपये. अब मान लीजिये पांच साल बाद वो अपनी कंपनी का IPO लाते है और issue price रखते है ₹100. तो इसका मतलब यह होगा की उन्होंने अपने शेयर, 100-10=90 के भाव में बेचे है.

इसे हम ऐसे भी कह सकते है की रमेश ने ₹90 के premium price पर अपने शेयर बेचे.

Face Value ₹10 क्यूँ होती है?

जब भारतीय बाज़ार की शुरुआत हुयी, उसका विकास हुआ तो ₹10 एक standard बन गया. समय बदलता गया और ज्यादातर कंपनियों ने इसे एक प्रथा के रूप में अपना लिया और आज तक जारी है.

  • दस रुपये face value रखने से बहुत सी चीज़े आसान हो जाती है. जैसे की EPS की गणना करने में, dividend के वक़्त और बाकी financial ratios को समझने में भी.
  • कई बार कंपनियां बाद में Stock Split (शेयर का विभाजन) के माध्यम से face value को कम कर सकती हैं. उदाहरण के लिए, यदि किसी शेयर का face value ₹10 है, तो कंपनी इसे ₹5 या ₹1 में विभाजित कर सकती है. इसका फायदा यह होता है की Retail Investors के लिए शेयर खरीदना आसान हो जाता है.
  • जब भी कंपनी dividend की घोषणा ‘प्रतिशत’ के रूप में करती है तो वह Face value पर मिलता है ना की CMP (current market price) पर. तो अगर आपके पास किसी कंपनी के 100 शेयर है और उसका CMP 500 चल रहा है और उसका face value 10 है और कंपनी 20% dividend दे रही है, तो आपको कितना लाभ होगा? 10 रुपये का 20% = 2. 2 x 100 शेयर = 200 रुपये. CMP को ही market value कहते है.

Share if like.

Leave a Comment