FII’s और DII’s क्या है? कौन किस पर भारी है?

FII's और DII's क्या है?

FII’s और DII’s क्या है? किसका कितना महत्त्व है? इतना समझ लीजिये की इनके पास अमाप पैसा है और दोनों ही महत्वपूर्ण है. FII मतलब Foreign Institutional Investor. आसान भाषा में विदेशी निवेशक. DII मतलब Domestic Institutional Investor. आसान भाषा में देसी निवेशक. यह वो संस्थाएं या कंपनियां होती हैं जो अपने और किसी दुसरे देश के वित्तीय बाजारों (जैसे शेयर मार्केट, बॉन्ड) में निवेश करते हैं. चलिए इन्हें और अच्छे से समझते है.

FII’s (Foreign Institutional Investors)

FII’s और DII’s क्या है? समझ लीजिये दो दोस्त है जिसमे से एक देस में रहता है और दूसरा विदेश में. FII’s को हम tourist भी कह सकते है. Institutions – यह अपने आप में बोहोत बड़ी बड़ी संस्थाएं होती है जिनके पास मोटा पैसा होता है. हम इन्हें विदेशी म्यूचुअल फंड, इंश्योरेंस कंपनियां, हेज फंड, पेंशन फंड भी कह सकते है जो हमारे घरेलु बाज़ार मे निवेश करते है. आइये इनके मुख्य बिंदु देखते है.

  • FII जब भारतीय बाजार में पैसा डालते हैं, तो अर्थव्यवस्था को फायदा होता है.
  • FII जब भारतीय बाजार में ज्यादा से से ज्यादा खरीददारी अर्थात निवेश करते हैं, तो शेयर बाजार में तेजी आती है, और जब वो अपना profit book करते है, अर्थात बिकवाली करते है, तो बाजार में गिरावट देखने को मिलती है.
  • भारतीय शेयर बाजार में FII के निवेश को SEBI (Security Exchange Board of India)  नियंत्रित करती है.

कौन किस पर भारी है? यह समझने के लिए पहले यह देखना ज़रूरी है की कौन से FII’s भारतीय शेयर बाज़ार में रूचि रखते है. उसके बाद DII’s देखेंगे.

Top FII’s.

  • Government of Singapore: सिंगापुर सरकार की निवेश शाखा ने भारतीय बाजार में महत्वपूर्ण निवेश किया है, खासतौर से रिलायंस इंडस्ट्रीज, इंफोसिस, एचडीएफसी बैंक, और टाटा स्टील जैसी कंपनियों में.
  • Europacific Growth Fund: इस फंड ने भारतीय बाजार में भारती एयरटेल, कोटक महिंद्रा बैंक, और रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी कंपनियों में निवेश किया है.
  • Government Pension Fund Global: यह Norway देश का Institutional Investor है जो इंफोसिस, एचडीएफसी बैंक, और टीसीएस जैसी कंपनियों में निवेश करता है.
  • Abu Dhabi Investment Authority (ADIA) – ADIA ने भारतीय बाजार में रिलायंस इंडस्ट्रीज, एचडीएफसी बैंक, और इंफोसिस जैसी कंपनियों में निवेश किया है.

चलिए अब देखते है की DII’s क्या होते है.

DII’s (Domestic Institutional Investors)

यह वो भारतीय संस्थाएं हैं जो भारत के वित्तीय बाज़ार जैसे की share market, bonds etc. में निवेश करते है. यह भारत के पैसों को भारतीय बाज़ार में ही निवेश करते है. इससे बाजार को स्थिरता मिलती है. DII’s के पास कुशल लोगों की टीम होती है जो research करते है और SEBI द्वारा certified होते है. आइये इनके मुख्य बिंदु देखते है.

  • Mutual Funds – जैसे कि SBI Mutual Fund, HDFC Mutual Fund, ICICI Prudential Mutual Fund आदि.
  • Insurance Companies – जैसे कि LIC (Life Insurance Corporation of India), HDFC Life, SBI Life आदि.
  • Pension Funds – जैसे कि EPFO (Employees’ Provident Fund Organisation.

FII’s भारत या किसी और देश में निवेश क्यूँ करते है?

FII भारत या अन्य देशों में कई कारणों से निवेश करते हैं. इन निवेशों का उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा रिटर्न प्राप्त करना, Diversification करना और आर्थिक मौकों का फायदा उठाना होता है. आइये कुछ बिंदु देखते है.

  • भारत जैसे देशों में GDP ग्रोथ रेट ज्यादा होती है, जिससे विदेशी निवेशक आकर्षित होते हैं.
  • जब किसी देश के शेयर बाजार में मूल्यांकन (valuation) आकर्षक होता है, तो FIIs निवेश करना पसंद करते हैं.
  • अगर किसी देश की currency (मुद्रा) स्थिर है या उसके मजबूत होने की संभावना है, तो FIIs वहां निवेश करना पसंद करते है. लेकिन किसी देश की मुद्रा गिर रही होती है, तो FIIs वहां से पैसा निकाल सकते हैं.
  • भारत में NSE और BSE जैसे शेयर बाजार अच्छी Liquidity प्रदान करते हैं, जिससे निवेशकों (FII’s) को आसानी से खरीददारी और बिकवाली करने में आसानी होती है.
  • किसी भी एक देश में निवेश करना जोखिम भरा हो सकता है, इसलिए FIIs अलग अलग बाजारों में निवेश करना पसंद करते हैं.

जब FII’s भारतीय बाज़ार से पैसा निकालते है तब क्या होता है?

जब FII’s भारतीय बाजार से अपना निवेश निकालते हैं, तो इसका भारतीय अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. इससे share market गिरने लगता है. FII द्वारा बड़े पैमाने पर निवेश निकासी से शेयर बाजार में बिकवाली होती है, जिससे महत्वपूर्ण Indices (सूचकांक) जैसे Nifty और Sensex में गिरावट आती है. अक्टूबर 2024 में, विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयरों से $10 बिलियन से  ज्यादा पैसा निकाला था जिसके बाद बाज़ार में भारी गिरावट आयी.

FII’s जब बाज़ार से पैसा निकालते है तो विदेशी मुद्रा (foreign currency) की मांग बढ़ती है, जिससे भारतीय रुपया कमजोर होता है. नवंबर 2024 में, विदेशी निवेशकों द्वारा $1.4 बिलियन की निकासी के कारण रुपया अपने निम्न स्तर के करीब पहुंच गया था और आज भी यही स्थिति है.

हालाँकि कुछ सकारात्मक पहलु भी उभरकर आते है. जैस की – महंगे स्टॉक्स / शेयर्स सस्ते दामों में मिलते है. SIP (Systematic Investment Plan) का फायदा यह होता है की इसमें averaging का मौका मिलता है. SIP वैसे भी लम्बे अवधि के लिए फायदेमंद है.

FII’s का data.

FII’s ने कितनी खरीददारी की और कितनी बिकवाली की इसकी जानकारी निचे दिए गए link पर click करके मिल जाएगी.

FII & DII data –

https://www.nseindia.com/reports/fii-dii

Conclusion (सारांश)

FII’s और DII’s दोनों संस्थाएं किसी भी देश के शेयर बाज़ार के लिए ज़रूरी है. FII’s जब भी भारतीय बाज़ार में निवेश करती है तो बाज़ार तेज़ी से आगे बढ़ने लगता है. जब यह अपना profit निकालते है तो बाज़ार गिरने लगता है. यहाँ ध्यान देने वाली बात यह भी है की exit करते वक़्त US Dollar का रेट कितना है. अगर डॉलर का रेट ज्यादा है तो यह भारतीय बाज़ार के लिए अच्छी बात नहीं मानी जाती क्यूंकि पैसा देश से बाहर जा रहा है.

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