भारत में पिछले दस वर्षों में ऐसे कौन से निवेश हैं जिन्होंने 15% CAGR दिया है?

CAGR मतलब Compound Annual Growth Rate. सरल भाषा में पैसे पर पैसा बनता है जिन्हें हम चक्रवृद्धि भी कहते है. आमतौर पर इसे समय के साथ बिज़नेस या निवेश की प्रगति के मूल्यांकन को मापने के लिए किया जाता है. आइये इसे समझने की कोशिश करते है.

मान लीजिये आपने एक लाख रुपये 3 साल के लिए बैंक में फिक्स्ड डिपाजिट (fixed deposit) कर दिए. बैंक उस पर आपको 8% ब्याज देता है. अब आप सोचेंगे की तीन साल बाद जो ब्याज मिलेगा वो होगा 24,000. लेकिन ऐसा नहीं है. तीन साल बाद आपको ब्याज मिलेगा 25,971. अब यह कैसे हुआ? इसकी वजह है CAGR. दरअसल आपकी शुरूआती रकम पर जो ब्याज मिला है, आप उस पर भी Profit बनाते है. कैसे? आइये देखते है.

समय के साथ पैसे से पैसा कैसे बनता है. (Compounding)

साल

निवेश की गयी राशि

मिलने वाला ब्याज (8%)

लाभ

01

Rs.1,00,000

Rs.8,000

Rs.1,08,000

02

Rs.1,08,000

Rs.8640

Rs.1,16,640

03

Rs.1,16,640

Rs.9,331

Rs.1,25,971

04

Rs.1,25,971

Rs.10,077

Rs.1,36,048

05

Rs.1,36,048

Rs.10,883

Rs.1,46,931

वैसे CAGR निकलने का एक formula भी है.

Ending Value = अंतिम राशि

Beginning Value = शुरूआती रकम

n = वर्षों की संख्या

किसी भी प्रकार के निवेश पर अगर बीते दस वर्षों में 15% CAGR प्राप्त हुआ है तो इसका सीधा सा मतलब है की – return लगातार मिले है और ज़बरदस्त मिले है. बावजूद इस बात के की कोई भी investment (निवेश) इस बात की गारंटी नहीं देता की भविष्य में आपको इतने ऊँचे दरों पर रिटर्न मिलेंगे, भारत में कुछ sectors है जिन्होंने यह कमाल करके दिखाया है. आइये एक नज़र डालते है.

1. Stock Market (शेयर बाज़ार)

भारतीय शेयर बाज़ार में कुछ सेक्टर्स और कुछ शेयर्स ऐसे है जिन्होंने पिछले दस सालों में ज़बरदस्त रिटर्न दिए है. 

Nifty 50 Index: निफ्टी 50 इंडेक्स, जो भारत की 50 प्रमुख कंपनियों के प्रदर्शन को ट्रैक करता है, ने पिछले दस सालों में (2014-2024 तक)12-15% के करीब औसत वार्षिक रिटर्न दिया है.  

BSE Sensex: इसी तरह, भारत के शीर्ष 30 शेयरों पर नज़र रखने वाले सेंसेक्स ने भी पिछले दशक में इसी स्तर के आसपास रिटर्न दिया है.

Top performing Sectors and Stocks.

Technology: Tech sectors के स्टॉक्स जैसे की Infosys, TCS और HCL Technologies के शेयर्स में अच्छी वृद्धि देखने को मिली है.      

Pharma & Healthcare: डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज (Dr. Reddy’s Laboratories), सन फार्मा (Sun Pharma) और सिप्ला (Cipla) जैसी कंपनियों ने पिछले दशक में अच्छी खासी वृद्धि दिखाई है.

Consumer Goods: हिंदुस्तान यूनिलीवर (Hindustan Unilever), नेस्ले इंडिया (Nestle India) और एशियन पेंट्स (Asian Paints) जैसी कंपनियां लगातार मजबूत प्रदर्शन करती रही है.

2. Mutual Funds (म्यूच्यूअल फंड्स)

कुछ म्यूचुअल फंड्स जिन्होंने मिड कैप और लार्ज कैप स्टॉक्स में ज्यादा दिल्चिस्पी दिखाई थी उन्होंने पिछले 10 वर्षों में 15% या उससे अधिक CAGR रिटर्न दिया है. आइये एक नज़र डालते है.


Equity Mutual Funds: यह वो फंड्स होते है जो मुख्य रूप से publicly traded companies अर्थात सार्वजनिक रूप से कारोबार करने वाली कंपनियों के शेयरों या इक्विटी में निवेश करते है. इन फंड्स का मुख्य उद्देश्य स्टॉक्स का एक diversified portfolio बनाकर निवेश करना होता है ताकि लम्बी अवधि में यह अच्छा रिटर्न दे सके. चलिए कुछ उदहारण देखते है.


SBI Small Cap Fund – इस fund ने अपने निवेशकों को अच्छा रिटर्न दिया है. पिछले एक साल में 29.76%, तीन साल में 20.3, पांच साल में 28.21% और जब से लांच हुआ है तब से 20.01%.

Mirae Asset Emerging Blue Chip Fund – पिछले दस सालों में इस फण्ड ने न केवल अपनी श्रेणी (Large & Mid Cap) में top performance दिखाया है बल्कि diversified equity funds (विविध इक्विटी फंडों) की सभी श्रेणियों की तुलना में तीसरा सबसे अच्छा फंड भी बनकर उभरा है.

3. Real Estate (रियल एस्टेट)

रियल एस्टेट को चार श्रेणी में विभाजित किया गया है.  
 
1. Residential Real Estate (आवासीय रियल एस्टेट)
2013-2016 (बूम पीरियड): 2013 से 2016 तक भारत के प्रमुख महानगरों में रेसिडेंशियल रियल एस्टेट में तेजी देखी गई थी. मुंबई, दिल्ली (NCR), बेंगलुरु जैसे शहरों में रियल एस्टेट की कीमतों में 10-15% वार्षिक वृद्धि देखने को मिली थी.
हालाँकि 2016 में RERA (रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी) और GST (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) जैसी नीतियों के कारण रियल एस्टेट बाजार में सुस्ती आई. इसके अलावा डिमोनिटाइजेशन से भी बाजार पर असर हुआ. इस दौरान रिटर्न्स कम होकर 2-5% वार्षिक रह गए थे

2. Commercial Real Estate (व्यावासिक रियल एस्टेट)
2013-2016: कॉमर्शियल रियल एस्टेट, खासकर कार्यालय स्थानों (offices) और आईटी हब्स (IT Hubs) जैसे बेंगलुरु, हैदराबाद, गुरुग्राम में शानदार वृद्धि देखने को मिली थी. यहां रिटर्न्स 12-15% वार्षिक तक थे.
 
3. Retail and Hospitality Real Estate
2013-2016: शहर में बढ़ते मॉल और कमर्शियल एरियाज ने अच्छे रिटर्न्स दिए खासतौर पर उन शहरों में जो तेज़ी से बढ़ रहे थे. रिटेल और हॉस्पिटैलिटी क्षेत्रों में 8-12% वार्षिक रिटर्न्स देखे गए थे.
 
4.Real Estate Investment Trusts (REIT’s)  
2019 में भारत में REIT’s की शुरुआत हुयी जिसमे निवशकों को बिना physical property (भौतिक संपत्ति) के, रियल एस्टेट में निवेश करने का एक नया तरीका मिला. REIT’s में commercial property से मिलने वाले किराये पर मुनाफा बनता है. इसने अब तक 8-12% औसतन रिटर्न दिया है.

4. Gold (सोना)

पिछले दस सालों की बात करे (2014-2024) तक, तो Gold ने भारत में निवेश के रूप में मजबूत रिटर्न प्रदान किया है. इस दौरान मुद्रास्फीति (inflation), वैश्विक आर्थिक अस्थिरता (global economic instability) और भारतीय रुपये (Indian Rupee) ने कई उतार चढ़ाव देखे, लेकिन इन सबके बावजूद Gold की कीमत में लगातार वृद्धि देखी गई है.


सोने की कीमत में उतार-चढ़ाव (2014-2024):
2014: सोने की कीमत लगभग ₹26,000-₹28,000 प्रति 10 ग्राम थी.

2024: सोने की कीमत ₹60,000-₹62,000 प्रति 10 ग्राम के बीच रही.

इससे पता चलता है की पिछ्ले दस सालों में सोने की कीमत में ₹32,000 प्रति 10 ग्राम का इज़ाफा हुआ है. अर्थात 114%. तो अगर आपने 2014 में दस लाख निवेश किये होते तो आज उसकी कीमत 21,40,000 होती.

5. Private Equity & Venture Capital

HNI (High Net-worth Individuals) या Institutional Investors के लिए स्टार्ट अप (startups) या उभरते बिज़नेस में अपना निजी पैसा (private equity) या venture capital के माध्यम से पैसा लगाने पर ज़बरदस्त रिटर्न मिल सकते है. इसे आसन भाषा में समझने में कोशिश करते है.

Private Equity – ‘A’ नाम का एक व्यक्ति है जिसके पास करोड़ो रूपये है. इन्हें हम HNI कहेंगे. ‘B’ नाम का एक व्यक्ति A के पास आता है और कहता है मेरे पास एक बिज़नेस आईडिया है लेकिन पैसे नहीं है. अगर आप मेरे बिज़नेस में पैसा लगाते है तो उसके बदले मै आपको कुछ हिस्सेदारी (equity) दूंगा. 10%, 20% या जितना भी. A कहता है मै पैसे दूंगा लेकिन मुझे 25% equity चाहिए. B उसकी शर्त मान जाता है. तो अब A कह सकता है की B के बिज़नेस में मेरी private equity है.

Venture Capital – मान लीजिये आपके पास एक आईडिया है और आप अपना स्टार्ट अप शुरू करना चाहते है. लेकिन उसके लिए जो पैसा चाहिए वो आपके पास है नहीं. फिर आप बैंक के पास जायेंगे लेकिन बैंक आपको loan नहीं देता. आप ‘A’ नाम के व्यक्ति के पास भी गए जिसके पास बोहोत सारा पैसा है लेकिन उसने मना कर दिया. फिर ऐसे में आप क्या करेंगे?

ऐसे में आपके पास तीसरा विकल्प है. आप Venture Capital के पास जा सकते है. अगर उन्हें आपके आईडिया पसंद आया, उसमें दम दिखा तो वो आपको पैसा (fund) देंगे. इसके बदले वो आपके कंपनी में 40% या 60% की हिस्सेदारी ले लेंगे. अब venture capital के पास पैसा कहाँ से आया? दरअसल venture capitalist के पास ‘A’ जैसे बोहोत सारे लोग होते है जो निवेश करते है.

सारांश

CAGR का निष्कर्ष यह है की किसी भी investment (निवेश), financial valuation (वित्तीय मूल्य), business (व्यवसाय) का एक समय में औसत वार्षिक वृद्धि (average annual growth) की दर (rate) को दर्शाना.

ख़ास बातें:

1. उतार चढ़ाव से कोई लेना देना नहीं केवल शुरूआती और अंतिम मूल्य पर ध्यान केन्द्रित करना.

2. अलग अलग निवेशों में तुलनात्मक विश्लेषण (comparative analysis) करने में मददगार.

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